प्राचीन ओलंपिक खेलों का इतिहास


 प्राचीन ओलंपिक खेल


इतिहास


प्राचीन खेलों की देन यूनान को ही कहा जाता है इतिहास के इतने विषम समय में भी मनुष्य के रुचि खेलों में होती थी मनुष्य ने खेलों में आनंद की अनुभूति ले खेलों के प्रभावों से ही युद्ध की तैयारी शिकार करना मनोरंजन वह देवताओं को खुश करने के लिए करते थे समय इन के मुख्य खेल सांडों की लड़ाई कुश्ती मुक्केबाजी किरण 1 लंबी दूरी की दौड़ आदि होती थी यूनान के अनेकों शहरों में मुख्य कार्यक्रम आयोजित किए जाने लगे मैं से ओलंपिया नाम खेल उत्सव जोश नामक देवता के सम्मान में खेला जाने लगा तो उस समय का सबसे बड़ा कार्यक्रम था


पहले ओलंपिया खेल संसद 776 मैम खेला जाता था उस समय इस खेल को पवित्र माना जाता था जिसमें शत्रु भी मित्रता का व्यवहार करते थे इन खेलों के दौरान युद्ध नहीं होते थे सबको मित्रता का माहौल बनाए रखना होता था साथ ही सभी प्रतिभागी को सुरक्षा प्रदान की जाती थी उस समय नग्न अवस्था में प्रदर्शन होते थे कारण अत्यधिक गर्मी भी होती थी जो केवल पुरुषों पुरुषों के लिए हुआ करते थे जहां महिलाओं की खेलों को देखने नहीं दिया जाता था लेकिन कुछ समय पश्चात बेरा महोत्सव के दौरान महिलाओं को भी प्रतियोगिता में शामिल किया जाने लगा उस समय यूनान में रोमन साम्राज्य में शत्रुता की भावना की रहती थी जिसके फलस्वरूप ईसाइयों ने रोमन साम्राज्य को नष्ट करने के पश्चात यूनान साम्राज्य को भी नष्ट करना चाहा अधिक शत्रुता का माहौल होने के कारण खेलों को बंद कर दिया गया और बाद में सभी यूनानी महोत्सव व को ईसाइयों द्वारा बंद किया जाने लगा


महत्व


यूनान में प्राचीन सभ्यता से ही खेलों को धार्मिक उत्सव के रूप में ही महत्व दिया जाता था सभी खेल महोत्सव में देवताओं की पूजा की जाती थी बलि भी दी जाती थी जिसके बाद ही खेलों को आरंभ किया जाता था


ओलंपिया महोत्सव को देवता जूस के सम्मान में मनाया जाता था घोषणा प्रत्येक बार देवता के खास व्यक्ति द्वारा दी जाती थी इन दिनों को पवित्र दिन माना जाता था साथ ही शांति बनाए रखने की घोषणा की जाती थी कोई भी युद्ध नहीं किए जाते थे शांति व भाईचारे की भावना ही बनाए रखने यह उत्सव मनाए जाते थे


नियम


ओलंपिया खेल महोत्सव के कुछ नियम हुआ करते थे जो निम्न है


खिलाड़ी जन्म से ही यूनानी हो


सभी खिलाड़ी का आदर करें 


खेल के सभी नियम जानते हो


1 साल का प्रशिक्षण होने के साथ ही कुछ समय का प्रशिक्षण ओलंपिया अधिकारियों की देखरेख में किया जाना चाहिए



खेल का आरंभ


पूजा


खेल आरंभ से पहले सभी खिलाड़ी अधिकारी व दर्शक देवता जूस की मूर्ति के पास आकर पूजा किया करते थे


बली


देवता जोश को एक सूअर की बलि दी जाती थी


शपथ


सभी खिलाड़ी द्वारा यह शपथ ली जाती थी कि वह सही ढंग से खेल खेलेंगे वह सभी का सम्मान करेंगे


प्रस्तावना


सभी खिलाड़ी का नाम पिता का नाम व स्थान लेकर बताया जाता था


उद्घाटन


अधिकारी द्वारा पवित्र अग्नि को देवता जोश के सामने रखकर खेल आरंभ करने की घोषणा की जाती थी


खेल की अवधि 7 दिन की होती थी इसका पहला दिन धार्मिक व  शपथ समारोह का दूसरा दिन खिलाड़ियों के परिचय का तीसरा दिन खेल आरंभ होता था और चौथे दिन तक चलता था पांचवां व अंतिम दिन पर्व व उल्लास का होता था अंतिम इन सभी विजेताओं को पुरस्कार से सम्मानित किया जाता था की सभी खिलाड़ियों को जिसने भी भाग लिया है उन सभी का सम्मान किया जाता था साथ ही सभी को बराबरी का दर्जा दिया जाता था

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